Thursday 12 February 2015

हरदोई का स्वर्णिम इतिहास

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की लड़ाई में जिले के माधोगंज के रुइया नरेश नरपति सिंह ने अपनी सेना के साथ अंगेजी फौज का डटकर मुकाबला किया और 55 अंग्रेजी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया और लगभग इतने ही सैनिकों को घायल कर उन्हें वापस लौटने पर मजबूर कर दिया था। इस लड़ाई में विक्टोरिया के ममेरे भाई ब्रिगेडियर होप को मार गिराया था । जिसकी मौत की खबर लंदन में पहुंचने पर वहां सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था । माधौगंज में स्थित रुइया नरेश श्री नरपति सिंह का जीर्ण-शीर्ण हालत में पहुंचा किला और लड़ाई में मारे गए अग्रेज अफसरों की कब्रे आज भी माधौगंज, के पशु चिकित्सालय के पीछे स्थित आज़ादी के लिए हुई जंग की मूक गवाही दे रही हैं ।

1857 के स्वंत्रता संग्राम के समय अंग्रेजी फौज ने मल्लावां को हेड क्वाटर बना रखा था। लखनऊ में विद्रोह शुरू होने की खबर मिली तो यहाँ भी अंग्रेजी अफसर सतर्क हो गए। रुइया नरेश का ही डर था कि मल्लावां के डिप्टी कमिशनर डब्लू सी चैपर को जब विद्रोह का समाचार मिला तो उन्होंने अंग्रेजी सेना के सचिव कैप्टन हचिनशन न को माधौगंज की और न जाने की सलाह दी, लेकिन हचिनशन अपनी जिद पर अड़े रहे चैपर की सलाह को वह नहीं माने और आगे बढ़ते रहे, लेकिन नरपति सिंह और बरुआ के गुलाब सिंह ने सेना के साथ अंग्रेजो के इस कदर दांत खट्टे किये की करीब डेढ़ वर्षो तक फिरंगी हुकूमत के हरदोई जिले में पैर नहीं जम सके
नाना साहब पेशवा का एक दूत रोटी का टुकड़ा और कमल का फूल लेकर रुइया गढ़ी स्थित नरपति सिंह के दरबार में पहुंचा। कमल क्रांति का चिन्ह व रोटी का टुकडा सभी जाति -वर्ग में भाईचारे व संगठन का प्रतीक था । रुइया नरेश ने इसे स्वीकार करते हुए नाना साहब को पैगाम भेजा और संकल्प लिया की जब तक जिन्दा रहूँगा तब तक देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए संघर्ष करता रहूँगा ।

 नरपति सिंह ने सगे भाई बेनी सिंह को मुख्य सेनापति बनाकर तीन कमान बनाई , जिसका नेतृत्व बस्ती सिंह, लखन सिंह व बद्री ठाकुर कर रहे थे । 29 मार्च, 1857 को जब बैरकपुर छावनी में सैनिक मंगल पाण्डेय ने विद्रोह कर दिया, तब नरपति सिंह के इशारे पर ही 15 मई 1857 को संडीला में भीषण युद्ध हुआ , जिसे दबाने के लिये अंग्रेजी हुकूमत के तत्कालीन सचिव हचिसन को संडीला भेज गया । वह आगे बढ़ भी रह था, किन्तु मल्लावां के डिप्टी कमिशनर से खबर मिली कि लखनऊ के विद्रोही माधौगंज के रुइया दुर्ग में एकत्र हो रहे हैं , यह सूचना पाकर सचिसन पीछे भागा और नरपति सिंह ने अपने आस-पास के अंग्रेजों को मारना शुरू कर दिया। इस घटना का हरदोई गजेटियर के पृष्ठ संख्या 143 पर उल्लेख है, फ्रीडम स्टेल इन उत्तरप्रदेश के पृष्ठ संख्या 28 पर लिखा है की नरपति सिंह को अपने दो पड़ोसी बहुत खटकते थे,पहला तो जिला हेड क्वाटर मल्लावां का डिप्टी कमिशनर डब्लू सी चैपर और दूसरा गंजमुरादाबाद का नवाब जो अंग्रेजों के लिये जासूसी करता था। 3 जून 1857 रुइया नरेश ने गंजमुरादाबाद पर आक्रमण कर नवाब को पकड़ लिया तथा उसके भतीजे को नवाब बना दिया । इससे जब डिप्टी कमिशनर चैपर अक्रामक हो उठा तो 8 जून 1857 को नरपति सिंह कुछ क्रांतिकारियों को लेकर मल्लावां पर चढ़ाई कर दी । तब चैपर भागकर संडीला चला गया। क्रांतकारियों ने बड़ी संख्या में अंग्रेजों का कत्लेआम किया और देशी सैनिकों को कैद कर लिया तथा तहसील, अदालत व थाना फूंक कर भवन ढहा दिया । बरबस के सोमवंशी मुआफ़िदारो के मुखिया माधोसिंह (जिसे अवध को शासन में मिलाने के बाद अंग्रेजों ने थानेदार नियुक्त किया था)पर आक्रमण कर उसकी बस्ती को जला दिया । माधोसिंह को कैद कर लिया गया । फ्रीडम स्ट्रगल इन उत्तरप्रदेश के पृष्ठ संख्या 115 , 134 व 135 पर इन घटनाओं का उल्लेख मिलता है ।

राजा नरपति सिंह की गतिविधियां व् मारकाट देखकर फिरंगी दहल गए । देश के स्वतंत्रता सेनानी व बागी फौजी सिपाही माधौगंज में जमा होने लगे । फैजाबाद के महान स्वतंत्रता सेनानी मौलवी लियाकत अली वीके जनपद में आ गए, दिल्ली के बादशाह शाह जफ़र को अंग्रेजों ने कैद कर लिया और एक क्रूर अंग्रेज अफसर हडसन ने बादशाह के सामने ही उनके दो बेटों को मौत के घाट उतार दिया । बादशाह का बड़ा शहजादा फिरोजशाह आँख बचाकर भागकर संडीला पहुंचा और राजा नरपति सिंह से मुलाक़ात की। शिवराजपुर के राजा सती प्रसाद सिंह तथा बांगरमोऊ के ज़मीदार जसा सिंह आकर राजा के सहयोगी बने । राजा के इशारे पर फिरोजशाह संडीला के वीर लक्कड़ शाह ने संडीला के आस-पास का क्षेत्र स्वंतत्र कर लिया तथा मौलवी लियाकत अली ने बिलग्राम, सांडी, पाली व् शाहाबाद तक अंग्रेज परस्तों को मार गिराया। इसका वर्णन हरदोई गजेटियर में मिलता है। बेरुआ स्टेट के सरबराकार गुलाब सिंह लखनऊ, रहीमाबाद व संडीला की लड़ाई लड़ते हुए नरपति सिंह के सहयोग में आ मिले ।

सौजन्य से : सुनील कुमार कश्यप
President at EK PAHAL
http://www.ekpahal.com

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